Jis Jagah Ahlenazar Pahonche

Shankar Shambhu Qawwal

जिस जगह एहले नज़र , पोहचाने इसे फ़रज़ाने गए
उन मक़ामो तक गए तो , तेरे दीवाने गए

उल्झानोमें ख़ुद उलझकर , रह गए वो बदनसीब
जो तेरी उल्झी हुई जुल्फों को , सुलझाने गए

इस से बढ़कर हमे और क्या मिलती है दाद-ए-वफ़ा
हम तेरे ही नाम से दुनिया में पहचाने गए

कौन कहता है मांगा हमने , ग़ैर से कभी
कब तेरे दर के सिवा ,दामन को फैलाने गए

परसा दावा बहुत था , परसाई का जिन्हे
महकदे में आज वो , दिल को बहलाने गए

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