Ja Rahi Hai Mohabbat Ki Maiyat

Shahid Ali Khan

क्या कहु दोस्तो के बारे में
मेरी किस्मत के फूल है ये लोग

जब भी देते है जख्म देते है
किस कदर बा उसूल है ये लोग
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वक़्त रुखसत है तुम लास मेरी
संग ऐ दिल बेवफा को दिखा दो

जा रही है महोब्बत की मय्यत
दोस्तो आओ कन्धा लगा दो..2
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सुनके रुदा के गम मेरी देखो
मेरे दुश्मन भी सब रो रहे है

हो सके तो जनाजे पे मेरे
चार आंसू ही आकर बहा दो..2

जा रही है महोब्बत की मय्यत
दोस्तो आओ कन्धा लगा दो
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प्यार में सजदे तुझको किये है
तुझको चाहा था पूजा था तुझको..2

प्यार अगर है खाता इस खाता की
जो भी चाहो मुझे वो सज़ा दो..2

जा रही है महोब्बत की मय्यत
दोस्तो आओ कन्धा लगा दो
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दिल जला जल गए मेरे अरमान
म जला जल गई मेरी दुनिया..2

दफ़्न के बाद मेरे सुनो तुम
झोपड़ी को भी मेरी जला दो ..2

जा रही है महोब्बत की मय्यत
दोस्तो आओ कन्धा लगा दो
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देख कर दुनिया मेरी लहद को
तुमको बदनाम करती रहेगी..2

आके इशरत निसान ऐ लहद को
अपने हाथों से आकर मिटा दो..2

जा रही है महोब्बत की मय्यत
दोस्तो आओ कन्धा लगा दो ..2
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वक़्त रुखसत है तुम लास मेरी
संग ऐ दिल बेवफा को दिखा दो

जा रही है महोब्बत की मय्यत
दोस्तो आओ कन्धा लगा दो ...................!

Lyrics Submitted by Ebusam

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