तुम मिलते मेरा मन जिओ तुम मिलहो दयाल
निस बासुर मन अनंद होत चितवत किरपाल`
तुम मिलते मेरा मन जिओ तुम मिलहो दयाल
टहल करऊं तेरे दास की पग झारऊं बाल
मस्तक अपना भेंट देऊं गुन सुनऊं रसाल
तुम मिलते मेरा मन जिओ तुम मिलहो दयाल
जगत उद्धारण साध प्रभ तिन लागहु पाल
मो कउ दीजै दान प्रभ संतन पग राल
तुम मिलते तुम मिलते मेरा मन जिओ तुम मिलहो दयाल
तुम मिलते मेरा मन जिओ तुम मिलहो दयाल
उकत सियानप कछ नाही नाही कछ घाल
भ्रम भय राखहु मोह ते काटहु जम जाल
निस बासुर मन अनंद होत चितवत किरपाल`
बिनउ करऊं करुणापते पिता प्रतपाल
गुन गाऊं तेरे साधसंग नानक सुख साल तुम मिलते मेरा मन जिओ तुम मिलहो दयाल
तुम मिलते मेरा मन जिओ तुम मिलहो दयाल
Lyrics Submitted by shivani malik
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